🏹किताब समीक्षा संख्या 25
किताब का नाम- मैं आर्यपुत्र हूं
🏹लेखक -मनोज सिंह
🏹भाषा -हिंदी
🏹 लेखक के बारे में
🏹लेखक मनोज सिंह जी का जन्म 1 सितंबर 1964 को आगरा ,उत्तर प्रदेश में हुआ ।
🏹सबसे पहले मैं @writersclub.india का धन्यवाद देना चाहूंगी कि उन्होंने मुझे इस पुस्तक की समीक्षा करने का अवसर दिया।
🏹 उनकी शैक्षणिक योग्यताएं इलेक्ट्रॉनिक एवं एमबीए है।
🏹 जैसा की किताब के शीर्षक से प्रतीत होता है, यह पुस्तक हमें आर्यों के बारे में बताती है।
🏹आर्य कौन थे ??
🏹कहां से आए थे??
🏹 ऐसे अनेक प्रश्नों का उत्तर हमें इस पुस्तक में मिलता है।
🏹 यह पुस्तक आर्यों की आत्मकथा है।
🏹 मुझे पुस्तक का प्रारूप बहुत पसंद आया।
🏹 आर्यों के प्रति हमारा मानना है कि वह बाहर से आए थे लेखक ने इसे मिथ्या करार दिया है और इस बात को वेदों एवं पुराणों के आधार पर सिद्ध किया है ।
🏹इस पुस्तक की सबसे खूबसूरत बात यह है कि इसमें समझाया गया है एक सच्चा आर्यपुत्र कौन होता है- एक सच्चा आर्यपुत्र वह नहीं होता जो आर्यों का वंशज हो, आर्यपुत्र वह होता है जो अपने कर्म से, वचन से ,संस्कारों से ,विचारों से, भावों से, आचरण से एवं विवेक से श्रेष्ठ हो ऐसा आर्यों का वंशज आर्यपुत्र कहलाता है ।
🏹लेखक ने अपने सभी बिंदुओं को उदाहरणो के साथ सिद्ध किया है।
🏹 हिंदी बोले जाने वाले क्षेत्र से होने की वजह से मुझे इस पुस्तक की भाषा सहज प्रतीत हुई।
🏹 लेखक ने इस पुस्तक की रचना करने से पहले काफी शोध किया है जिसकी झलक हमें पुस्तक में साफ मिलती है ।
🏹यह पुस्तक सभी को पढ़नी चाहिए क्योंकि हमें हमारे इतिहास से जागरूक करती है।
🏹एक पुस्तक हो आप @amazondotin से खरीद सकते हैं ।
🏹किंडल वर्जन -₹76
पेपर बैक वर्जन- ₹300
हार्ड कवर- ₹480 रुपए
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